8. व्यक्त और अव्यक्त


 पतवार से जुड़े एक छोटे से यंत्रट्रिम टैबमें एक हल्का सा बदलाव एक बड़े जहाज की दिशा को बदल देता है। इसी तरह, गीता का अध्ययन करने के लिए एक हल्का सा प्रयास हमारे जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। महामारी की वजह से उपलब्ध समय गीता में गोता लगाने के लिये किया जा सकता है, जो जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।

गीता किंडरगार्टन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक आंतरिक बोध के लिए एक शाश्वत पाठ्य पुस्तक है और संभावना है कि पहली बार पढऩे पर इसकी बहुत कम अवधारणाएँ समझ में आएंगी। यदि हम अव्यक्त और व्यक्त की दृष्टिकोण से अवलोकन करें तो उन्हें आसानी से समझा जा सकता है। अव्यक्त वह है जो हमारी इन्द्रियों से परे है और व्यक्त वह है जो इन्द्रियों के दायरे में है।

व्यक्त होने की कहानी बिग बैंग से लेकर सितारों के निर्माण तक, इन सितारों के अन्तर्भाग में उच्च रासायनिक तत्वों के परमाणुओं का विलय, सितारों के विस्फोट में इन तत्वों के प्रसार, ग्रह प्रणालियों के गठन और बुद्धिमान जीवन की उपस्थिति में शामिल है। यह वैज्ञानिक समुदाय द्वारा एक स्वीकृत तथ्य है कि इन व्यक्त जीवन रूपों, ग्रहों, सितारों और यहां तक कि ब्रह्मांड के अस्तित्व की एक निश्चित समय सीमा है। हालांकि इस समय सीमा के पैमाने भिन्न हो सकते हैं।

हमारी यह समझ कि हम जन्म से मृत्यु तक मौजूद हैं, जो व्यक्त दृष्टिकोण से सही है। गीता के अनुसार, अव्यक्त दृष्टिकोण से, हम जन्म से पहले मौजूद थे और मृत्यु के बाद भी मौजूद रहेंगे। इस बोध के साथ, हम उनके बीच के संबंध को आसानी से समझ सकते हैं और यह समझ हमें अव्यक्त को साकार करने के लक्ष्य को प्राप्त करा सकता है जिसे मोक्ष के नाम से जाना जाता है।

इस लक्ष्य की प्राप्ति में अहंकार एक बाधा है। बाहर के सुख या दुख की परवाह किये बिना, जितनी मात्रा में आनंद से हम भर जाते हैं, अव्यक्त तक पहुंचने के लिए तय की गई दूरी का यह एक संकेतक है।

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