147. अनेकता में एकता

सत्य , वास्तविकता और ईश्वर एक हैं। ज्ञानियों ने अपने समय की भाषा का उपयोग करते हुए विभिन्न नामों और वाक्यांशों के साथ उसी का वर्णन किया। क्रिस्मस के अवसर पर ईसा मसीह द्वारा और बाइबल में प्रयुक्त कुछ ऐसे मुहावरे जो गीता में प्रतिध्वनित होते हैं , इस पहलू पर प्रकाश डालते हैं। समत्व गीता की नींव में से एक है और श्रीकृष्ण हमें विभिन्न चीजें , लोग जैसे दोस्त , रिश्तेदार और शत्रु तथा भावनाएं जैसे प्रशंसा और आलोचना को एक समान मानने के लिए कहते हैं। यीशु ने कहा , ‘‘ दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें।’’ यह अधीनस्थों के साथ वैसा ही व्यवहार करना है जैसा हम चाहते हैं कि हमारे अधिकारी हमारे साथ व्यवहार करें ; पड़ोसियों के साथ वैसा ही व्यवहार करना है जैसा हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ व्यवहार करें। यह पैमाना हमें समत्व के शिखर तक ले जा सकता है। इसी तरह , बाइबल में उद्धृत किया गया है (मैथ्यू 25:29), ‘‘ जिसके पास है , उसे और दिया जाएगा , और उसके पास बहुतायत होगी ; परन्तु जिसके पास नहीं है , उससे जो उसके पास है , वह भी ले लिया जाएगा।’’ यह समझना ...