168. हकदारी को त्यागना

अर्जुन कहते हैं , " मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय आध्यात्मिक विषयों का उपदेश दिया है , उसे सुनकर अब मेरा भ्रम दूर हो गया है (11.1) । मैने आपसे सभी प्राणियों की उत्पत्ति और प्रलय के संबंध में विस्तार से सुना है तथा मैंने आपकी अविनाशी महिमा को भी जाना है (11.2) । आपने मुझे अपने परम विभूतियों के बारे में बताया है , किन्तु मैं इन सारे विभूतियों से युक्त आपके स्वरूप को प्रत्यक्ष देखने का इच्छुक हूँ (11.3) । यदि आप मानते हैं कि मैं आपके परम स्वरूप को देखने में सक्षम हूँ , तो कृपा करके मुझे उस अविनाशी स्वरूप को दिखाएं " (11.4) । आम धारणा यह है कि भ्रम पर काबू पाने और अध्यात्म प्राप्त करने के लिए परमात्मा का आशीर्वाद जरूरी है। हालाँकि यह तर्कसंगत प्रतीत होता है , परन्तु आंतरिक परिवर्तन से बचने के लिए इसे एक बहाने के रूप में प्रयोग किया जाता है। यदि किसी को कर्मफल की आशा किए बिना कर्म करने के लिए कहा जाए तो वह ...