175. निमित्त-मात्र की विशेषताएं
श्रीकृष्ण अर्जुन को भविष्य की एक झलक दिखाते हैं जहां योद्धा मौत के मुंह में प्रवेश कर रहे हैं और कहते हैं कि अर्जुन केवल एक निमित्तमात्र है। श्रीकृष्ण आगे स्पष्ट करते हैं कि अर्जुन के बिना भी, उनमें से कोई भी जीवित नहीं रहेगा और इसलिए उसे तनाव मुक्त होकर लड़ना चाहिए।
निमित्तमात्र एक आंतरिक अवस्था है न कि कोई कौशल जिसमें महारत हासिल की जा सके। इसे प्राप्त करने का एक आसान तरीका मृत्यु को सदैव याद रखना है, जिसे 'मेमेंटो मोरी' कहा जाता है। दूसरे, दर्दनाक (असहाय और दयनीय) परिस्थितियां हमें निमित्तमात्र की झलक तुरंत दे सकती हैं। जागरूकता के साथ सुखद परिस्थितियां भी हमें लंबे समय तक चलने वाली निमित्तमात्र की झलक दे सकती हैं।
'क्या हमारी अनुपस्थिति से इस संसार पर कोई फर्क पड़ेगा'? यदि हम इस प्रश्न का उत्तर बार-बार, स्पष्ट रूप से और दृढ़ता से 'नहीं' में पाते हैं, तो हम निश्चित रूप से निमित्तमात्र की ओर बढ़ रहे हैं।
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