97. ज्ञान की तलवार
श्रीकृष्ण कहते हैं , ‘‘ जिसने योग द्वारा कर्म को त्याग दिया है और अपने संदेहों को ज्ञान से दूर कर दिया है , वह स्वयं में स्थिर हो जाता है ; कर्म उसे नहीं बांधता है ( 4.41) । अत: हृदय में निवास करने वाले अज्ञान जनित संशय को ज्ञान रूपी तलवार से काटकर योग में स्थित हो जा’’ ( 4.42) । श्रीकृष्ण हमें कर्मबंधन से मुक्त होने के लिए ज्ञान की तलवार का उपयोग करने की सलाह देते हैं। जब हमारे द्वारा किये गए या नहीं किये गए कार्यों द्वारा चीजों या रिश्तों को नुकसान होता है जिससे हमें पश्चाताप होता है , वह पश्चाताप एक प्रकार का कर्मबंधन है। इसी तरह , हमारे जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले दूसरों के कार्यों या निष्क्रियताओं के लिए हम जो निंदा करते हैं , वह भी एक प्रकार का कर्मबंधन है। ज्ञान की तलवार ही एकमात्र साधन है जो हमें पश्चाताप और निंदा के जटिल जाल से खुद को निकालने में मदद करती है। गीता के चौथे अध्याय को ‘ज्ञान कर्म संन्यास’ योग कहा गया है। यह इस बात से शुरू होता है कि परमात्मा कैसे कर्म करते हैं और हमें बताता है कि सभी कर्मों को निस्वार्थ कर्मों के यज्ञ की तरह कर...